
लखनऊ का एक मामला इन दिनों सुर्खियों में है, जहां सिर्फ 7 साल का एक मासूम अपने पिता की करोड़ों की संपत्ति को लेकर न्याय की गुहार लगाता हुआ कोर्ट तक पहुंच गया। कहानी में ट्विस्ट ये कि पुलिस ने उसकी और उसके नाना की शिकायत सुनने से इनकार कर दिया।
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1.08 करोड़ की रकम, FD से लेकर जमीन मुआवज़ा तक
आरोप है कि बच्चे के दादी और चाचा ने मिलकर पिता को “अविवाहित” बताकर उनकी मृत्यु के बाद मिली जमीन अधिग्रहण की रकम और FD – कुल ₹1.08 करोड़ – हड़प ली।
“अविवाहित” बना दिया गया पिता!
कागज़ों में फर्जीवाड़ा करके दावा किया गया कि मृतक की कोई पत्नी या संतान नहीं है। इस बहाने सारा पैसा हड़प लिया गया। जबकि बच्चा अपने पिता का कानूनी वारिस है।
नाना बना ढाल, कोर्ट बनी उम्मीद
जब पुलिस ने FIR तक दर्ज नहीं की, तो बच्चा अपने नाना के साथ कोर्ट पहुंच गया। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मोहनलालगंज थाने को FIR दर्ज करने का आदेश दिया। अब पुलिस ने केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
सवाल ये नहीं कि 7 साल का बच्चा अदालत गया… सवाल ये है कि उसे जाना पड़ा!
क्या हमारे सिस्टम की संवेदनाएं इतनी कुंद हो चुकी हैं कि अब न्याय पाने के लिए बच्चों को भी कोर्ट जाना पड़ेगा?
एक तरफ “बेटी बचाओ, बेटा पढ़ाओ” जैसे नारे हैं, दूसरी तरफ पुलिस मासूम की पुकार अनसुनी कर देती है।
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